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शनिवार, 24 अप्रैल 2010

मीडिया का पागलपन

इसे मीडिया का पागलपन नहीं तो और क्या कहेंगे। जब कोई पुरुष तरक्की की ऊंचाईयां छूता है तो तब उसकी तारीफ के पुल बांधने लगता है लेकिन जैसे ही महिला तमाम बाधाओं को दूर करके ऊंचाईयां छूती है तो सब उसके पीछे ही पड जाते हैं। मीडिया खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया उसकी निजी जीवन में जबरदस्ती की ताक झांक करने लगता है। सबसे पहले उसके चरित्र पर सवाल खडे किये जाने लगते हैं। आईपीएल विवाद में विदेश राज्य मंत्री शशि थुरुर को अपनी वुᆬर्सी गंवानी पडी। उन्होंने तो वुᆬर्सी छोड दी लेकिन उनकी दोस्त सुन्नदा पुष्कर को रोज एक न एक आरोपों से दो चार होना पड रहा है जैसे उनकी शशि थुरुर से जान पहचान होना कोई अपराध है। मीडिया ने उनके चरित्र पर भी सवाल उठाये। परेशान सुन्नदा को यहां तक कहना पडा कि मीडिया ने उनकी बेहद फूहड़  छवि पेश की। आखिर मीडिया को हो क्या गया है। क्या कोई महिला ऊंचाई नहीं छू सकती है? पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के बाद श्रीमती सोनिया गांधी, तमिलनाडू की मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता व यूपी की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती भी तो महिला ही हैं जिन्होंने सफलता के मुकाम अपनी शर्तों पर तय किये हैं। इस पुरुष प्रधान समाज में इन महिलाओं ने देश की अन्य महिलाओं के लिए रास्ता दिखाने का काम किया है। इनके निजी जीवन में झांकने की कभी मीडिया ने कोशिश नहीं की। वजय ये इतनी ताकतवर हैं कि मीडिया के बडे-बडे दिग्गज भी इनके सामने सिर झुकाते हैं। मीडिया के लोग जानते हैं कि बगैर तथ्य के इनके बारे में वुᆬछ भी टिप्पणी की तो उसकी सजा भी उन्हें भुगतनी पड सकती है। शायद यही वजह है कि इनके जीवन में झांकने की कोशिश नहीं कर पाते हैं। वैसे भी हमारे पुरुष प्रधान समाज में किसी भी महिला पर उसके चरित्र को लेकर टिप्पणी करना आजकल का शगल हो गया है। मीडिया भी अब उसमें शामिल हो गया है। मैं भी मीडिया से ही हूं लेकिन मुझे लगता है कि मीडिया को किसी के भी निजी जिन्दगी में झांकने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए और महिलाओं को भी इस तरह की आलोचना से विचलित नहीं होना चाहिए। उन्हें उसी रपत्तार से अपनी तरक्की की रपत्तार को आगे बढाना चाहिए जैसे वह चल रही हैं। अभी हाल में एक कार्यक्रम  में मिस वर्ल्ड डायना हेडेन जी से मुलाकात हुई। डायना हेडेन जी ने बताया कि जब वह 14 साल की थीं तभी उनके पेरेन्ट्स अलग हो गये। डायना के सामने आगे का रास्ता तय करने का मुश्किल भरा सफर था। डायना ने पहले एक कम्पनी में रिसेप्सनस्ट की नौकरी की लेकिन उनकी इच्छा मिस इंडिया का ताज हासिल करने की थी। वह अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढती रही और मिस वर्ल्ड बनीं। हैदराबाद में उन्हें छुटभैये लोफरों से दिक्कतें भी हुईं लेकिन वह अपने लक्ष्य से डिगी नहीं। महिलाओं के बारे में कोई भी टिप्पणी करना किसी भी पुरुष के लिए बेहद आसान होता है लेकिन मेरा मानना है कि यदि कोई महिला चरित्रहीन होती है तो उसमें पुरुष का बडा योगदान होता है। काल गर्ल के बारे में आधकांश पुरुष चर्चा करते हैं लेकिन यदि पुरुष नहीं होते तो कोई लडकी काल गर्ल क्यों बनती। कई लडकियों को काल गर्ल बनाने में पुरुष का ही योगदान होता है। और जहां तक इलेक्ट्रानिक मीडिया की बात है वहां तो फिल्मों से ज्यादा कास्टिंग काऊच है। लडकियों को नौकरी देने से लगायत उन्हें प्रोन्नति देने में बडे-बडे सम्पादक उनका शोषण करते हैं। दिल्ली में चैन्ालों के दपत्तर में रोज इस तरह की घटनाएं होती हैं। वास्तविकता यह है कि लडकियां तो मजबूर होकर सम्पादकों के समक्ष अपने को पेश करती हैं। अब सम्पादक इसे अपने तरीके से भी कह सकता है कि फलां लडकी ने नौकरी या प्रमोशन के लिए कम्प्रोमाइज करने से गुरेज नहीं किया। दिल्ली की एक इलेक्ट्रानिक मीडिया के दपत्तर का हाल आपको बताता हूं। इनपुट हेड ने एक महिला रिपोर्टर को महज इसलिए पहले तो रिपोटिर्ग से हटवाया जब वह उनकी तरफ आकर्षित नहीं हुई तो रात की पाली में उनकी ड्यूटी लगा दी। वह पत्रकार मेरे एक जानने वाले की रिश्तेदार थी। मैने अपने जानने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार से हस्तक्षेप करवाया तब जाकर वह जनाब उस महिला का पीछा छोडे। मुझे लगता है कि किसी भी महिला के निजी जीवन में झांकने से पहले मीडिया के साथियों को अपने गिरेबान में एक बार जरुर झांकना चाहिए।

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुरू से ही पित्रीसमाज की प्रथा चली आ रही है जिसमे महिलाओं के उथान की बात सोचना पुरुस समाज के लिए थोरा दुस्कर प्रतीत होता है इसलिए जब महिलाये उच्चायियो छूती है तो उसके सामने आरक्छन की लकीर खीच दी जाती है ..लेकिन महिला तो सहचरी होती है ,वो हरेक को देवत्व तक पुचने वाली साधिका होती है ...

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  2. शुरू से ही पित्रीसमाज की प्रथा चली आ रही है जिसमे महिलाओं के उथान की बात सोचना पुरुस समाज के लिए थोरा दुस्कर प्रतीत होता है इसलिए जब महिलाये उच्चायियो छूती है तो उसके सामने आरक्छन की लकीर खीच दी जाती है ..लेकिन महिला तो सहचरी होती है ,वो हरेक को देवत्व तक पुचने वाली साधिका होती है ...

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  3. Mitra Deokji,being journalist mhilaon ke prti itna udaar hone kaa mtlab aap neutral journalist nhi hain or unke pro hain.
    Aapne Shashi Tharoor ki 6-8 mhine phle mahila dost bni Sunnda Pushkar ki charcha ki or Daina ka jikra bhi kiya,in shi ko ek aise male se dosti ki jroorat hmesha rhi hai jo ine promote kre or inpr paisa or time kharcha kre,Sunnanda ko 70crore ki sweety kyon mili or kiski mehrbaani se Kerala team se joodi kaise ?? wh powerful,handsum MOS Tharoor hi tha.Private main mhilaaon ko ek mhine ki sailory paane ke liye kya mgajmaari nhi hoti??

    Main firmly maanta hoon ki women or girl ko backdrop se success ke forefront pr wh mediahouse main ho ya or khin in sbhi sundar- -chapal devijion ko aage lane wala ek mard aaadmi hi hota hai,bhle hi jb name or fame milne lge tb un sfl women ko shortcut khraab lgte hain or abuse krne se prhej nhi krti hain..smjhe dost..Rajput Ashok

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  4. Dear Deokiji,Aapne late Indra Gandhi,Sonia,Jaya or Maya ko underline kiya no doubt about there struggle n achieved success.Lakin Sunnanda or Diana ko mile name fame ko great four se joda being journalist bilkul thiknhi kiya Sunnanda or Diana main lead nhi blki page 3 pr society ke entertainment ke liye hain..smjhiye dost,inki performance or success pr chrcha kr bekaar samay khrcha kr rhe hain krna pthr tod rhi,remote area main delivery kra rhi lady Dr or rifle haath main liye RAF or CRPF dste main lgi women ki hardship ko annalise kriye or page one ka bottom bnaiye...ek or dost Rajput Ashok

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  5. bahut sundear likha deoki ji. wastaw me media khaskar tv wale kisi bhi mamle me ladki ka naam ate hi uske chritra par lachan lagne lagte haii. badhi aapko media ka hokar unke khilaf likhne ke lia.

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  6. हमने आप्का ब्लोग padha महलाओं की तरक्की के बारे मे आपने काफी कुच ठीक लिखा है लेकिन आपको यह भी ध्यान रखना चाहिय कि girl सफलता के लिय आज कुछ भी करने को तैयार बैठी है. उन्हे जब भी लगता है की फाला मेल उसे फैयदा दे सकता है तो उसकी ओर अपने को पेश कर देती है. उसे अपने जिस्म से भी खेलने की इजाजत देने मे हिच नही होती है. जो ठीक नही होता

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  7. bahut aacha likha hai aapne deoki sir ji.mere khayal se media ko kisi ki personal life se jada woh sawal uthane chaiyee jisse samaj ki burai khatam ho sakee. Media kyu nahi sawal karta hai ki samwaj se jat pat khatam hoo . kyuki media sawal karti hai oon politician se jo rajniti mai aate hai 10 rs lekar aur 5 saal mai million kama lete hai. maine ek bhi media person aaisa nahi dekha jo sahi sawal ko bade banner se uttha sakee. media is more interested in Sania mirza's marriage

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  8. kya baat hai mishra ji media ke adami hokar bhi media ki hi pol khol di. bahut badiya. achchha likha aur dil khol kar likha hai aapane.

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