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शुक्रवार, 7 मई 2010

फांसी को लेकर राजनीति बन्द करो

17 महीने के कम समय में अजमल आमिर कसाव को फांसी की सजा तो सुना दी गयी लेकिन उसे फांसी होने में 17 साल लग जायं तो इसमे किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कसाव की फांसी पर पूरे देश ने खुशी तो जाहिर की लेकिन मुझे लगता है कि असली खुशी तभी मिलेगी जब उसे फांसी पर लटका दिया जाय। फांसी पर लटकाये जाने का पुराना जो रिकार्ड रहा है उससे लगता नहीं कि कसाव को जल्द फांसी मिल पाएगी। संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु को भी फांसी सुनायी जा चुकी है लेकिन चार साल से ज्यादा का समय गुजर गया उस पर निर्णय नहीं हो पााया। न्यायपालिका ने तो अपना काम पूरा कर दिया लेकिन अब सरकार अपना काम नहीं कर पा रही है। ऐसे में यह कैसे माना जाय कि सरकार वास्तव में आतंकवाद को रोक पायेगी। वैसे तो हमारे देश में फांसी पर अंतिम निर्णय होने में लम्बा वक्त लगता है लेकिन यदि मामला किसी खास कम्युनिटी का होता है फिर तो वोट बैंक भी प्रभावित होने लगता है। वर्ष 2004 में धनन्जय चटर्जी के बाद भारत में किसी को फांसी नहीं दी गयी। 308 लोगों को मौत की सजा सुनायी जा चुकी है। 29 लोगों की मर्सी अपील राष्ट्रपति के यहां पडी है। राष्ट्रपति को सब काम की फुर्सत तो है लेकिन जिससे अपराधियों पर कानून का भय पैदा करना है उस पर निर्णय लेने की फुर्सत लगता है उन्हें नहीं है। जब किसी को फांसी पर नहीं लटकाना है फिर फांसी की सजा सुनाने की कोर्ट को जरुरत क्या है? आतंकवादी अफजल गुरु को  फांसी पर लटकाने को लेकर राजनीतिक दलों में जबरदस्त रस्साकसी चल रही है। कसाव के मामले में इनका रवैया थोडा अलग नजर आ रहा है। देश के मुसलमानों का नजरिया भी थोडा बदला है। मुझे लगता है कि कसाव यदि हिन्दुस्तानी होता तो देश के मुसलमानों का नजरिया अफजल गुरु जैसा ही होता। यहां देश के मुसलमानों को ध्यान रखना होगा कि आतंकवादी की कोई जाति व धर्म नहीं होता है। यह अलग बात है कि जेहाद के नाम पर चन्द मुसलमान पूरी दुनिया में आतंकवाद को फिला रहे हैं। पाकिस्तान उनकी अगुवाई कर रहा है लेकिन भारत के मुसलमानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि देश में जब भी आतंकवादी हमला होता है उस समय हिन्दु व मुसलमान दोनों की जान जाती है। आतंकवादी हिन्दुओं को भी टार्गेट करके हमला नहीं करते हैं। आतंकवादी अफजल गुरु हो या कसाव दोनों को फांसी जल्दी दी जाय इसके लिए देश के मुसलमानों को आगे आना चाहिए। माहौल खडा करके सरकार पर मर्सी अपील पर जल्द निर्णय का दबाव बनाना चाहिए। यही कदम देश हित में है और देशवासियों के भी। मेरा मानना है कि सरकार को भी फांसी की सजा पाने वाले व्यक्ति की मानसिक स्थिति को भी समझ करके जल्द निर्णय लेना चाहिए। जिस किसी व्यक्ति को फांसी की सजा सुना दी जाती है वह हर रोज तिल-तिल कर मरने का एहसास करता है। उसे भी समझ में नहीं आता कि कल क्या होने वाला है। मानसिक हालत खराब होने पर वह गम्भीर बीमार भी पड सकता है। ऐसी स्थिति में जेल के सामने एक नई तरह की समस्या खडी हो सकती है। दूसरी तरफ कसाव व अफजल जैसे आतंकवादियों को फांसी की सजा सुनाये जाने के बाद उनकी सुरक्षा पर करोडों का खर्च भी सरकार कर रही है। यह खर्च तो अनायास ही लगता है। यह खर्च कब तक होगा किसी को नहीं पता। मुझे लगता है कि फांसी पर राजनीति बन्द हो जाय तो अपराधियों में फांसी का खौफ जरुर पैदा होगा जो न्याय की मंशा भी है।

7 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar likha deoki ji aapne. fanci kp lekar sarkar ko ko koi kanoon banana chahiya taki jald ye ho sake. tabhi apradhoyon me khuph hoga.

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  2. Kasab deserves this punishment and most of us knew about the verdict from the day one when trial against him was commenced by ths special court. Most of our media people convicted him when he was arrested and judgment of the court is just an eye wash. I am not supporting Kasab at all nor have any sympathy for the terrorist who took the life of 166 innocent people in Mumbai. I wanted to know why no one convicted in the case of 1984 riots of Delhi and Gujarat carange in 2002. H.K.L. Bhagat is dead, Sajjan Kumar, Jagdish Tytler are still enjoying category security and Narendra Modi and his henchmen are in the power in Gujarat and enjoying VIP treatment. The people from Sangh Parivar and RSS who were involved in bombing in Hyderabad, Malegoan, Ajmer and Delhi should be treated on par with Kasab. A butcher is butcher there is no difference between a cow butcher or a goat butcher......

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  3. dear deoki fanshi per aap ka aalekh dekha achha laga hamesha istarah ke muddo per apna vichar likhte rahe

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  4. dear deoki fanshi per rajniti aalekh dekha achha laga aage bhi aap ke vichar dekhane ko mile koshish karte rahe

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  5. मिश्र जी आप के सुन्दर व भावपूर्ण लेखन के लिए मेरी शुभकामनायें

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  6. मिश्रा जी, आप की पत्रकारिता में सदभाव की कमी है, सोच को समय रहते दुरुस्त करलेना ही भारतीय पत्रकारिता कहलाती है, आप ने लिखा: ''आतंकवादी अफजल गुरु हो या कसाव दोनों को फांसी जल्दी दी जाय इसके लिए देश के मुसलमानों को आगे आना चाहिए। माहौल खडा करके सरकार पर मर्सी अपील पर जल्द निर्णय का दबाव बनाना चाहिए।'' मिश्रा जी, मुस्लमान ही क्यों, उनकी तो कोई सुनता भी नहीं, आप क्या कररहे हैं, एक अरब हिन्दू किया कररहे हैं? आप RSS और संघ की आतंकवादी गतिविधियों को क्यों नज़र अंदाज़ कररहे है,? उन पर ban लगाने की बात क्यों नहीं कररहे हैं? भारत को आज़ादी मुसलमानों और हिन्दुओं ने दिलाई थी, बल की मुसलमानों ने ज्यादह कुर्बानियां दी हैं, हिन्दुओं ने उतनी नहीं, इस लिए की भारत मुसलमानों से छीना गया था, आप ऐसी पत्रकारिता न करें जिस से किसी का दिल दुखे, मैं पुरे दावे से कह सकता हूँ की अगर आप भगवा आतंक को रोक ले जाएँ, पुरे देश में शांति ही शांति फैल जायेगी.

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  7. Its unfortunate for India That He is eating mutton, chiken who killed a lot of innocent citizens. Sale Neta Chor

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