चुनाव निकट हैं। बदले माहौल में विजय की समस्या विकट है। दांव सही पड़े, महारथियों को यह चिंता सताना वाजिब है। कुछ ने मनौती फिक्स कर ली तो कुछ ने अनुष्ठानों के लिए एडवांस बुकिंग करा दी। ग्रहों के चाल-चलन और मारकशक्ति से सभी योद्धा वाकिफ हैं। ग्रहों की तिरछी चाल का असर कम करने के लिए रणवीरों ने रत्नों और नगों का वजन घटाना- बढ़ाना शुरू दिया है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। चुनावी वैतरणी पार करने के लिए कुछ ने टोटकों पर विास जताया है तो कुछ ने बाबाओं पर। धार्मिक गुरुओं, ज्योतिषाचार्यो की एडवांस बुकिंग की जा रही है ताकि वे पूरे चुनाव उन्हें पल-पल पर गाइडेंस देते रहें। ताकि अशुभ होने की कोई गुंजाइश न रहे। बहुतों ने पिछला चुनाव जितवाने वाले गैर प्रदेशों के तांत्रिकों तक की तलाश शुरू करा दी है। हरिद्वार, लखनऊ, दिल्ली, विंध्याचल, अयोध्या, मथुरा व काशी के बाबा और धार्मिक गुरुओं के द्वारे लम्बी-चौड़ी लग्जरी गाड़ियों की लम्बी-लम्बी कतारें लगने लगी हैं। अधिसंख्य नेताओं के भाग्य ग्रहनक्षत्र के तराजू पर तौले जा चुके हैं। जिनका भाग्य कमजोर है उन्हें मजबूत करने और जिनका मजबूत है उन्हें और मजबूत करने की जुगत बैठायी जा रही है। टोटके, रत्न, नग व यज्ञ बटुओं के वजन के हिसाब से डन किये जा रहे हैं। एक जाने-माने ज्योतिषाचार्य का कहना है कि शाहजहांपुर जिले एक विधायक जिनकी सीट और टिकट कट गया था, यज्ञ की ताकत से ही भाजपा से उम्मीदवारी का हक मिला है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य विनोद चतुव्रेदी का कहना है कि ज्योतिषी बिरादरी जिन बिन्दुओं पर विशेष विचार कर रही हैं उनमें ग्रहों का दोष व शांति, शुभ अंक व तारीख, शुभ दिन व रंग शामिल हैं। वह मजार जहां की दुआ, कमजोर भाग्य की दवा बने और वह धर्मस्थल जो विजय पताका फहराने में मददगार बने, वहां मत्था टेकने पर भी एस्ट्रोलोजर गौर कर रहे हैं। ज्योतिषाचार्य डा. अरविन्द त्रिपाठी का कहना है कि इस बार नये वर्ष के प्रथम मास से चुनाव का आगाज हो रहा है और मकर संक्रांति के बाद अंजाम पर पहुंच रहा है, सभी की राशियों के ग्रहों की चाल में बदलाव तय है। अनुकूल परिणाम के लिए उपाए अपनाए जा रहे हैं। वह बताते हैं कि मनमुताबिक रिजल्ट के लिए उम्मीदवार व उनके परिजन सलाह लेने आने लगे हैं। सभी जानते हैं प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल करने में नग-रत्न और पूजा-अनुष्ठान जरूरी होता है। कुंडली और श्रद्धा मुताबिक उपचार तय किये जाते हैं जिनमें घर के दरवाजे पर ग्रह शोधक पौधा लगाने, स्टोन, |
आप सोच रहे होंगे कि इस पत्रकार को ब्लाग लिखने की जरुरत क्यों आन पडी, जब इसके पास लिखने के लिए पहले से एक प्रमुख समाचार पत्र व टेलीविजन है। आपकी सोच ठीक है लेकिन मेरा मानना है कि अपनी ढेर सारी भावनाएं व विचार हम उस समाचार पत्र में नहीं लिख सकते। इसके लिए इण्टरनेट ब्लाग मुझे बेहतर माध्यम लगा। मेरे ब्लाग पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएंगे तो मुझे प्रसन्नता होगी साथ ही आपके सुझावों से इसमें बदलाव करने में यूपी के इस बन्दे को सहूलियत होगी।
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शनिवार, 7 जनवरी 2012
ग्रहों के दुराग्रहों से बचने की जुगत
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