उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में राज्य के वोटरो की जय हो बोलने के लिए लोगों को मजबूर कर दिया है। आजादी के बाद इतिहास में यह पहला मौका है जब विधान सभा के लिए करीब 62 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। चुनाव आयोग की टीम इस बढे मतदान को लेकर बेद खुश है और अपनी वाहवाही में लगी है। आयोग को लगता है कि यह सब उसके प्रयास से संभव हुआ। आयोग छ माह से ज्यादा समय से लोगों को अपने वोट के प्रति जागरुक करने का अभियान चला रखा है। आयोग का भी इसमें बड़ा योगदान है उसकी भी जय बोला जाना चाहिये लेकिन चुनावा के निराश वातावरण में इतनी बड़ी संख्या में खराब मौसम के बावजूद बूथ तक पहुचना कोई और ही संकेत देते हुए नजर आ रहा है। मैने कई क्षेत्रों के दौरे में पाया था कि वोटर इस बार पूरी तरह से चुप था। वह किसी के पक्ष या विपक्ष की बात मीडिया के साथ नही कर रहा है। उसका गुस्सा दिखा तो सभी राजनीतिक दलों की तरफ। फिर भी वोट देते समय स पर जाति व धर्म तो हावी रहा ही साथ ही पार्टियों के कार्य का ट्रैक रिकार्ड भी देखा। जिस पार्टी का जैसा ट्रैक रिकार्ड उसकी समझ में आया उसी के मुताबिक वोट किया। इस बार एक खास बात और देखने को मिली कि वोटरो ने आपस में वोट पर चर्चा तो की लेकिन से इसे किसी पब्लिक फोरम पर नहीं आने दिया। मीडिया भी शायद इसी वजह से कोई आकलन नही कर पा रहा है। दौरे में मैने देखा वोटर कि मुझसे तो चर्चा नहीं कर रहा था और जब वोट डालने की बारी आयी तो बूथ पर लाइन में ख़डा हो गया। इससे ये साफ है कि वोटर के मन में जो कुछ भी चल रहा था वह उसे उजागर करने के पछ में नहीं था बल्कि वोट डालकर ही बताने के मूड में था। करीब 15 फीसदी तक ज्यादा मतदान इस बार हुआ । ये अब तक के चुनावी इतिहास की बड़ी घटना है। गांव ही नही शहर में भी बड़ी तादात में लोग वोट डालने के लिए घर से बाहर निकले। जो पहले कभी वोट नही डाले थे इस बार वोट डालने गये इससे साफ होता है कि उनके मन में सरकारो के प्रति जो गुस्सा चल रहा था उसे इस बार किसी नतीजे पर पुंचाना चाते थे। वोट का परसेंटेज बढने से भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के नेता आज शाम को कुछ ज्यादा ही खुश दिखे लेकिन युवा वोटर जो पहली बार वोट डालने गया उसने किधर रुख किया ये तो छ मार्च को ही पता चल सकेगा । बहरहाल वोटर ने चुनाव में इस बार यूपी में इतिहास लिख दिया।