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बुधवार, 14 मई 2014

मार्केटिंग का गुर कोई मोदी से सीखे

सोलहवी लोक सभा का चुनाव खत्म हो गया. वोटिंग के बाद अब नतीजो का इंतजार है. एग्जिट पोल तो यही कह रहे है कि नरेंद्र मोदी का प्रधानमन्त्री बनना तय है. एन डी ए को २७२ से ३४० सीट मिलने का अनुमान एग्जिट पोल लगा रहे है हलाकि यह अलग बात है कि १९९८ को छोड़कर कभी भी एग्जिट पोल सही साबित नही हुए है. हर बार एग्जिट पोल में चैनल वाले बीजेपी को ज्यादा सीट देते है और कांग्रेस को कम. जब नतीजे आते है तो होता इसके ठीक उलट है. इस बार भी ऐसा ही होगा यह मै नही कह सकता लेकिन यह चुनाव एक अलग तरह की मार्केटिंग के लिए याद किया जायेगा. इस मार्केटिंग के लीडर रहे बीजेपी के पी एम् पद के प्रत्याशी नरेंद्र दामोदर दास मोदी. मोदी ने इधर करीब दो साल के भीतर खुद की ऐसी मार्केटिंग की कि भाजपा को उन्हें पी एम पद का उम्मीदवार बनाना पड़ा और जनता को भी उनका समर्थन करना पड़ा. पार्टी के बड़े नेता उनकी राह में रोड़े अटकाने की कोशिश किये लेकिन कोई सफल नही हो पाया. अलबत्ता मोदी आगे बढ़ते रहे और विरोध करने वाले नेता पीछे हटते रहे.

अगर आपको याद हो तो मोदी ने अपनी खुद की मार्केटिंग कि शुरुआत गुजरात से ही शुरू की. जब एक कार्यक्रम में मोदी ने एक मुस्लिम धर्म गुरु की तरफ से पहनाई जा रही टोपी को पहनने से मना कर दिया था. इस एक छोटी सी घटना को पूरे देश की मीडिया में खूब प्रचारित करवाया गया. मोदी ने खुद को एक हिन्दू नेता के रूप में अपने को पेश करने की कोशिश की. मोदी के इस कदम की देश भर में चर्चा हुई. गुजरात में चोथी बार चुनाव जीतने के बाद तो मोदी ने बीजेपी के भीतर खुद को सबसे बड़े नेता के रूप में खुद को प्रस्तुत किया. मोदी ने अपनी ब्रांडिंग के लिये प्रोफेशनल्स की टीम को किराये पर रखा जो ट्विटर और फेस बुक पर मोदी को देश के उद्धारक के रूप में पेश किया. यह सब इसलिये किया गया ताकि देश भर में लोगो का समर्थन मोदी के फेवर में जुटाया जा सके. हुआ भी यही यूथ के बीच मोदी लोकप्रिय होते चले गए. इस बीच मोदी ने देश भर में विभिन्न संगठनों के बीच जाकर गुजरात के विकास की तस्वीर को पेश किया और इसे मीडिया में खूब प्रचारित किया गया ताकि लोगो के जेहन में यह बात बैठ जाय कि मोदी अगर देश के पीएम बनते है तो गुजरात की तरह ही वह देश का विकास कर सकते है. इस बीच मोदी ने खुद का कद इतना बड़ा कर लिया कि पार्टी को उन्हें पीएम पद का प्रत्याशी घोषित करना पड़ा. मोदी की शर्त थी कि वह देश भर में प्रचार तभी करेंगे जब उन्हें पीएम का प्रत्याशी बनाया जायेगा. इसके बाद तो मोदी ने दिल्ली बीजेपी दफ्तर पर अपना कब्ज़ा जमा लिया. हलाकि मोदी ने अपनी पूरी मार्केटिंग का केंद्र गाँधी नगर को ही बनाये रखा. मोदी ने टैग लाइन दी अच्छे दिन आने वाले है. चुनाव प्रचार में नई तकनीक का जमकर प्रयोग किया जो लोगो के बीच कोतूहल बना. थ्री डी तकनीक के जरिये पहली बार उन्होंने प्रचार किया. मोदी ने खुद को कभी पिछडो का नेता बताया तो कभी खुद को विकास पुरुष के रूप में मीडिया और जनता के सामने पेश किया. तीन चरण के चुनावो के बाद मोदी ने अपना एक नया चेहरा मीडिया फ्रेंड का भी प्रस्तुत किया. सभी चैनलों को बारी बारी से मोदी ने इन्टरव्यू दिया. यह पहली बार हुआ कि इन्टरव्यू को चैनलों ने कई बार रिपीट दिखाया. मोदी की रैलियों को दिखाने के लिये बकायदे बीजेपी ने इंतजाम किया था. बीजेपी की तरफ से जारी किये गये वीडियो को ही चैनलों पर लाइव दिखाया गया. यह सब कुछ मोदी की मार्केटिंग की ही रणनीति का हिस्सा था. मोदी जो चाहते थे टी वी पर वही दिखाया गया. पूरे चुनाव कैम्पेन में हर पोस्टर पर अकेले मोदी ही छाये रहे. वह मजबूत सरकार के लिये वोट मांग रहे थे. वोटरों के बीच मोदी ने कहा वह देश की हर मर्ज की दवा है. उनका यह दावा लोगो को आकर्षित करने में सफल भी रहा.

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