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रविवार, 7 नवंबर 2010

वाह रे ओबामा


अमरीका को दुनिया का सबसे ताकतवर देश कहा जाता है़ किसी भी देश की हिम्मत नहीं है कि उसके सामने सिर उठा सके़ चार साल पहले अमरीका के राष्ट्रपति जार्ज बुश भी भारत के दौरे पर आये थे और आज बराक ओबामा़ दोनों ही दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति हैं लेकिन तब और अब में काफी फर्क आ गया है़ तब जार्ज बुश के सामने हमारे कोई खास हैसियत नहीं थी लेकिन इस बार ओबामा ने भारत को अपना दोस्त कहा़ भारत को अमरीका के बराबर का दर्जा दिया़ इसका मतलब यह कत्तई नहीं लगाया जाना चाहिए कि अमरीका ने भारत के सामने घुटने टेक दिये अपने देश के बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए़ जैसा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के हमारे साथी शोर मचा रहे हैं. हमें इस बात को समझना चाहिए कि अमरीका की ताकत हमसे कई गुना ज्यादा है़. जिस जहाज में अमरीका का राष्ट्रपति यात्रा करता है उस तरह का जहाज भारत को हासिल करने में अभी कितना वक्त लगेगा नहीं कहा जा सकता है़ हम भारतीयों को ओबामा के इस कदम की तारीफ करते हुए उनके साथ कदमताल करना चाहिए़ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस बात को समझ गये हैं लेकिन लगता है देश के मीडिया के बंधु इसे नहीं समझना चाहते हैं़ यही वजह है कि मनमोहन सिंह खुद ओबामा के स्वागत के लिए एयरपोर्ट पर अपनी पत्नी के साथ गये़ यह इस देश के लिए एक बड्ी घटना है़ ओबामा की यात्रा को लेकर पूरी मीडिया सिर्फ  पाकिस्तान को केन्द्र में देख रही है़ मेरा सवाल है कि क्या ओबामा सिर्फ  पाकिस्तान पर बात करने के लिए भारत की यात्रा पर आये हैं? अमरीका के साथ औद्योगिक समझौता होना क्या कम है़ मुम्बई के सेंट जेवियर्स कालेज के छात्रों के सवाल के जवाब में ओबामा ने बहुत अच्छी बात कही पाकिस्तान की तरक्की और खुशहाली में भारत का भी भला है़ ओबामा ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में कुछ लोग हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं. पाकिस्तान सरकार उन पर अंकुश नहीं लगा पा रही है शायद यही वजह है कि पाकिस्तान भी आतंकवाद का उतना ही शिकार है जितना भारत व अन्य देश़ भले ही अमरीका पाकिस्तान को आर्थिक मदद करता हो लेकिन वह खुद भी चाहता है कि आतंकवादियों का पाकिस्तान से खात्मा होक़्योंकि अमरीका भी आतंकवाद का कम दंश नहीं झेल रहा है़ 9/11 की घटना को शायद ही अमरीका भुला पा रहा हो़ हमें यह समझना होगा कि कई बार हमारी जो भी प्राथमिकता होती है वह हमारे किसी दोस्त की नहीं होती है़ ओबामा का भारत से कुछ ज्यादा ही लगाव नजर आ रहा है, मुझे नहीं लगता है कि इतना लगाव ओबामा का पाकिस्तान के साथ होगा़ कुछ राजनीतिक मजबूरियां भी हो सकती हैं पाकिस्तान के आर्थिक सहयोग में़हम इस बात को क्यों नहीं समझते हैं कि पाकिस्तान हमारी समस्या है़ हमें ही इस समस्या से खुद ही निपटना होगा़ वैसे भी हम क्या कम ताकतवर हैं जो पाकिस्तान से टक्कर लेने के लिए अमरीका का सहयोग लेंगे़ भारत की नीति हमेशा से पाकिस्तान का विवाद बातचीत के जरिए सुलझाने की रही है़ यह एक अच्छी बात है़ ओबामा जिनको अपने जीवन का आदर्श मानते हैं गांधी उनके भी कुछ ऐसे ही विचार थे़ गांधी जी आहंसा के पुजारी थे़ गांधी जी ने अंग्रेजों को भगाने में भी हमेशा से आहंसा का सहारा लिया़ जहां कहीं भी हिंसा हुई गांधी जी ने हमेशा उसको कण्डम किया थाग़ांधी जी के ही शिष्य हैं ओबामा़ फिर वे अगर बातचीत की पेशकश कर रहे हैं तो व्ात्या बुराई है़ मैने तो गांधी को नहीं देखा और न मिला लेकिन जितना उनके बारे में जाना और समझा है वास्तव में गांधी जैसे लोगों को भी भगवान कहा जाता है़ मुझे लगता है कि ओबामा की यह भारत यात्रा पाकिस्तान मुद्दे के अलावा पूरी दुनिया में यह संदेश देने में सफल होगी कि भारत भी अब ताकतवर हो गया है़ भारत अब पिछलग्गू देश नहीं रहा़ अमरीका जैसे विश्व का सबसे ताकतवर देश अब उसे अपना दोस्त जो बता रहा है़.