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बुधवार, 24 मार्च 2010

सुप्रीम कोर्ट ने की गलत व्याख्या-राधा कृष्ण तो नहीं थे लिव इन रिलेशनशिप में

सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को वैध ठहराकर युवाओं को खुश तो कर दिया लेकिन जिस तरह से यह पैᆬसला आया इसने एक नये विवाद को जन्म दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पैᆬसले के पीछे राधा व कृष्ण के सम्बन्धों का जिव्रᆬ किया है। अखबारों में छपी रिपोर्ट पर गौर किया जाय तो सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक कृष्ण और राधा भी साथ-साथ रहते थे। मुझे लगता है कि विद्वान न्यायाधीशों की पीठ ने इस बिन्दु पर पौराणिक कथाओं का सही तरह से अवलोकन नहीं किया। रामनवमी से ठीक एक दिन पूर्व 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का यह महत्वपूर्ण पैᆬसला आया। 24 मार्च को यह पैᆬसला देश के सभी महत्वपूर्ण समाचार पत्रों में छपा। टीवी चैनलों ने भी इस खबर को अपने प्राइम टाइम में चलाया। पूरे दिन पत्रकारों व बुद्विजीवियों के बीच इस पैᆬसले पर चर्चा होती रही। चर्चा की दो धाराएं नजर आयीं लेकिन ज्यादा लोगों की नाराजगी दिखने का कारण था इस पैᆬसले के साथ कृष्ण और राधा के सम्बन्धों को आधार बनाना। जहां तक मेरी जानकारी है कृष्ण और राधा साथ-साथ नहीं रहते थे। कृष्ण से राधा उम्र में 15 साल बडी थीं। कृष्ण की हजारों गोपियों में से राधा एक थी। राधा उनकी खास सखा थां और कहीं भी यह जिव्रᆬ नहीं है कि राधा व कृष्ण साथ-साथ रहते थे। हमारे ब्यूरो प्रमुख विजय शंकर पंकज ने हमारी चर्चा को आगे बढाते हुए राधा व कृष्ण के सम्बन्धों पर विस्तार से जानकारी दी। बकौल पंकज जी राधा व कृष्ण एक ही गांव के रहने वाले थे। राधा शादी शुदा थी लेकिन वह कृष्ण की गोपियों में सबसे खास थी। बावजूद इसके वह जब कभी भी कृष्ण से मिली उनके साथ गांव की अन्य गोपियां भी हुआ करती थी। सबके साथ ही वह रास रचाया करती थी। यह सारे तथ्य पौराणिक कथाओं में वर्णित हैं। लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने पौराणिक कथाओं पर ठीक तरह से गौर नहीं किया और उसे आज के लिव इन रिलेशनशिप के रिश्तों से जोड दिया। लिव इन रिलेशनशिप का मतलब कोई भी बालिग युवक व युवती शादी से पहले ही आपस में न ही शारीरिक सम्बन्ध बना सकते हैं बल्कि साथ रह भी सकते हैं। कानून व पुलिस इन सम्बन्धों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। देश की अदालत जब समलैंगिकता को गलत नहीं मानती तो युवक व युवती के लिव इन रिलेशनशिप को किस तरह से गलत ठहराया जा सकता है। मेरा ऐतराज इस पर है भी नहीं लेकिन मेरा निवेदन है कि लिव इन रिलेशनशिप की सच्चाई को भी अदालतों को देखना चाहिए। किस तरह से युवक व युवतियां लिव इन रिलेशनशिप के नाम पर ठगे जा रहे हैं यह उन हजारों युवक व युवतियों से पूछिए जो इसके शिकार हुए। ऐसा नहीं है कि युवक ही युवती को इस बहाने एक्सप्लायट करके धोखा दे रहे हैं। युवतियां भी अपने साथी को खूब धोखे दे रही हैं। इसे नजदीक से जानने के लिए यूटीवी बिन्दास का शो इमोशनल अत्याचार देखना होगा। आपका पार्टनर आपके प्रति कितना ईमानदार है इस शो को देखने के बाद पता चलता है। लिव इन रिलेशनशिप के कई सम्बन्ध इस टीवी शो के दौरान ही असलियत खुलने के बाद टूट जाते हैं। कोई जरुरी नहीं कि आप अपने जिस दोस्त के साथ कमिटेड रिलेशनशिप में रह रहे हों वह भी उतना ही कमिटेड हो। मुझे लगता है कि समाज की इन सच्चाईयों की रोशनी में पैᆬसले आने चाहिए। क्योंकि देश में कानून से ही लोग थोडा सा डरते हैं।

शनिवार, 6 मार्च 2010

साधुओं की जय हो-मीडिया की भी जय हो

देश की मीडिया में इस समय एक अजीब तरह की बहस छिडी हुई है। कौन बाबा असली और कौन नकली। क्या धर्म है और क्या अधर्म। दिल्ली में इच्छाधारी बाबा की गिरपत्तारी व दक्षिण में स्वामी नित्यानन्द के एक तमिल आभनेत्री के साथ बन्द कमरे का वीडियो सन टीवी द्वारा दिखाये जाने के बाद मीडिया बाबाओं को कटघरे में खडा करने में जुटा हुआ है। टीवी पर लम्बी-लम्बी बहस चल रही है। स्टूडियो में साधुओं के साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को बैठाकर चर्चा की जा रही है। इस पूरी बहस के दिलचस्प पहलू पर शायद कुछ  ही लोगों ने गौर किया होगा। एक घंटे की बहस में लम्बे-लम्बे ब्रेक के अलावा नित्यानन्द स्वामी जी का लम्बा फुटेज  व इच्छाधारी बाबा का नृत्य करने की फुटेज  ज्यादा दिखायी जा रही है। बहस तो हो रही है लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही है। मैने कई चैनलों पर इस मुद्दे पर होने वाली बहस पर गौर किया लेकिन किसी पर भी बहस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। चैनल वाले यह कह सकते हैं कि बहस में शामिल लोग किसी एक मुद्दे पर एकमत नहीं हो सके। एक चैनल पर तो स्वामी रामदेव जी ने कह दिया कि पाखण्डी बाबाओं को फांसी पर लटका देना चाहिए। श्रीश्री रविशंकर ने भी कहा कि सन्त कहने वाले फर्जी लोगों को सजा मिलनी चाहिए। चैनल के एंकर बार-बार यही कहते रहे कि लोग कैसे नकली व असली सन्त के बीच पहचान करें। मुझे लगता है कि समाज इस बारे में पूरी तरह से जागरुक है। तभी तो आसाराम बापू पर पिछले दो वर्ष से हत्या के आरोप लग रहे हैं लेकिन उनके भक्तों की संख्या में कोई कमी नहीं आयी। सत्य साई बाबा पर बच्चों के यौन शोषण के साथ चमत्कार करने के तमाम आरोप मीडिया ने लगाये लेकिन भक्तों की तादात कम नहीं हुई। अपने को भगवान घोषित करने वाले लाडेसर महराज से मेरी कई बार मुलाकात हुई। बाराबंकी के सांसद पी़एल़पुनिया जी मेरे सामने ही पहली बार अपनी धर्मपत्नी के साथ लाडेसर महराज से उनके गोमतीनगर स्थित आश्रम में मिले थे। पुनिया जी ने उनसे अपनी राजनीतिक इच्छा का इजहार करते हुए उसमें सफलता के बारे में पूछा था। बाबा ने उन्हें राजनीति में पूरी सफलता मिलने की बात कही थी। बाबा ने यह पुनिया जी के रिटायरमेंट के फौरन बाद कहा था। जबसे मीडिया उनके पीछे पडी लाडेसर महराज ने पूरे देश में अपना भ्रमण कार्यव्रᆬम बन्द कर दिया। अब वे अपने पुष्कर आश्रम में ही रहते हैं। अभी भी उनके भक्तों की तादात कम नहीं हुई है। हजारों लोग लाडेसर महराज के दर्शन के लिए पुष्कर आश्रम में जुटते हैं। रोज शाम का बाबा जी दर्शन करते हैं।

मेरा मानना है कि मीडिया को साधु सन्तों या किसी भी मामले में मीडिया ट्रायल नहीं करना चाहिए। सन्त व सन्यासी होने का मतलब यह कत्तई नहीं है कि वह ब्रम्हचर्य का पालन करे। कई सन्यासी हैं जो वैवाहिक जीवन जी रहे हैं। यह जरुर है कि सन्त व सन्यासी को हमारा समाज मार्गदर्शक मानता है। सन्त जो भी बताते हैं उसका हम पालन करते हैं। ऐसे में सन्तों को अपनी मर्यादा का ख्याल जरुर करना चाहिए क्योंकि पूरी दुनिया की नजर उन पर रहती है। वैसे जो भी लोग सामाजिक जीवन जीते हैं उन्हें यह ख्याल रखना चाहिए कि उनके छोटे से कृᆬत्य से समाज पर कितना खराब असर पडता है। पूरे समुदाय की बदनामी होने लगती है। लेकिन मीडिया को भी इन बातों को दिखाने के लिए टीआरपीके चक्कर में पडने की बजाय जांच रिपोर्ट आने तक का इंतजार जरुर करना चााहए। स्वामी नित्यानन्द की जो पुᆬटेज टीवी पर दिखायी जा रही है उसमें तमिल आभनेत्री के अलावा उस कमरे में दो अन्य व्यक्ति भी दिखायी दे रहे हैं। ऐसे में यह कैसे कहा जा सकता है कि नित्यानन्द आभनेत्री के साथ किसी तरह के सम्बन्ध बना रहे थे। दिल्ली के इच्छाधारी बाबा के आश्रम से कोई काल गर्ल नहीं पकडी गयी लेकिन उसे काल गर्ल का सौदागर बता दिया गया। पुलिस ने कहा और मीडिया ने मान लिया। इच्छाधारी बाबा का नृत्य करता हुआ एक वीडियो भी खूब दिखाया जा रहा है। उस वीडियो में बाबा किसी महिला के साथ तो दिखते नहीं हैं। बताया गया कि बाबा के 500 काल गर्ल से जानपहचान है लेकिन किसी एक को सामने लाकर पुलिस पेश नहीं कर पायी। इच्छाधारी बाबा हास्पीटल चलाते हैं। जहां तक मेरी जानकारी है यह हास्पीटल सेवा भावना से चलाया जा रहा है। यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि जिस बाबा के इतने सारे भक्त हैं वह काल गर्ल का रैकेट क्यों चलायेगा। इसकी जानकारी उनके किसी भक्त को नहीं हो पायी। बाबा ने अपने बयान में जो कहा कि उन्हें फंसाया गया। ऐसा हो भी सकता है, लेकिन अब तो पुलिस व मीडिया ने उन्हें देश में काल गर्ल का सबसे बडा सौदागर घोषित कर दिया है। किसी भी हत्या करने वाले को तब तक मीडिया में हत्यारा नहीं लिखा जाता है जब तक कोर्ट उस पर आरोप नहीं तय कर देती है। मुझे लगता है कि इसी तरह इन बाबाओं के बारे में भी होना चाहिए। पुलिस अगर चार्जशीट दायर करती है और उस पर अदालत किसी भी आरोप में बाबा पर आरोप तय करती है तो उसे कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए। यह जरुर है कि इधर साधु सन्तों की देश में बाढ आ गयी है। सन्तों के पास वुᆬछ ही दिनों में अरबों रुपये की सम्पत्ति भी जमा हो जाती है। लोगों को यह देखना होगा कि आखिर बाबा के पास यह करोडों की सम्पत्ति कहीं से आयी? सरकारी मशीनरी को भी इस पर नजर रखनी चाहिए। आम लोगों को भी सन्तों पर भरोसा थोडा जांच परख कर करना चाहिए। मीडिया को धार्मिक मामलों में थोडा संयम बरतना चाहिए।