देश में करेप्सन और
व्यवस्था के खिलाफ केजरीवाल का आन्दोलन पहला नही है, इससे पहले भी कई लोग इस तरह
का आन्दोलन कर चुके है. चाहे जयप्रकाश का आन्दोलन रहा हो या विश्वनाथ प्रताप सिंह
का. देश के लोगो ने बड़ी तादात में इन आंदोलनों में हिस्सा लिया था कुछ लोग कटघरे
में भी खड़े किये गये लेकिन उनके खिलाफ हुआ कुछ भी नही. जयप्रकाश जी के आन्दोलन से
कांग्रेस सरकार गिर गई और जनता पार्टी की सरकार बनी लेकिन वह चल नही पायी. लगता था
कि जयप्रकाश जी देश की तक़दीर बदल देंगे लेकिन देश को क्या मिला सब जानते है. यह
जरुर हुआ कि उनका नाम इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया जो वह आई ए एस की नौकरी
करके नही दर्ज करा पाते. वी पी सिंह के मामले में भी यही हुआ. कथित तौर पर बोफोर्स
घोटाले का विरोध करते हुये कांग्रेस सरकार से अलग हुये श्री सिंह ने पुरे देश इस
घोटाले को लेकर हो हल्ला किया और कांग्रेस की सरकार को गिराकर खुद प्रधानमंत्री बन
गये लेकिन देश को क्या मिला? जातिवाद का जहर जरुर बो दिया. बोफोर्स में दलाली हुई
इसे वह पी एम् रहते हुये भी नही साबित करा पाये. कुछ यही हाल मेरी नजर में
केजरीवाल के आन्दोलन का भी है. दिल्ली की सत्ता क्या मिली उन्हें इस पर संतोष नही
है. उनकी नजर पी एम् की कुर्शी पर है तभी तो सी एम् बनने के बाद भी रोज सडक पर नजर
आ रहे है. उनकी पार्टी के नेता टीवी चैनलों पर दबंगो की तरह नजर आते है और कहते है
कि हम गांधीवादी है. ताजा विवाद लोकपाल बिल पास करने को लेकर है. कानून कहता है कि
बिल को पहले केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजना होगा तब ही विधान सभा में रखा जा
सकता है. आप सबको पता है कि दिल्ली स्टेट को पूर्ण राज्य का दर्जा नही है. ऐसे में
अगर यह नियम है तो केजरीवाल उसका पालन क्यूँ नही करेंगे? कांग्रेस और भाजपा समेत
सभी पार्टिया उस नियम को मानती रही है फिर आप को क्या दिक्कत है? क्या केजरीवाल ने
अपने को देश और संविधान से ऊपर मान लिया है? दिल्ली के लोगो की रोजमर्रा की
दिक्कतों को साल्व करने की बजाय वह रोज नई प्राब्लम खड़ी करके देश के लोगो का ध्यान
अपनी तरफ खीचने में ही लगे है. देश की जनता कितनी भोली है वह इस तरह के लोगो की
बातो में आ जाते है. केजरीवाल को सिर्फ अपनी और अपनी पार्टी की चिंता है उन्हें
लगता है कि लोक सभा चुनाव तक अगर उनकी पार्टी के लोग इसी तरह हो हल्ला मचाते रहे
तो दिल्ली की ही तरह ही देश भर से २५-३० सीट जीत जायेंगे. वैसे मुझे लगता नही है
कि उनका यह सपना सच हो पायेगा. दिल्ली की सरकार बनने के बाद से ही केजरीवाल का
ग्राफ पुरे देश में लगातार नीचे गिरता जा रहा है अगर इसी तरह संविधान का मजाक वह
उड़ाते रहे तो आगे उनकी हालत और भी ख़राब होती चली जायेगी. कानून के जानकर कह रहे है
कि लोकपाल को विधान सभा में पेश करने का तरीका उनका गलत है लेकिन वह मानने को
तैयार नही है. यह किसी भी मुख्यमंत्री के लिये ठीक नही है.
आप सोच रहे होंगे कि इस पत्रकार को ब्लाग लिखने की जरुरत क्यों आन पडी, जब इसके पास लिखने के लिए पहले से एक प्रमुख समाचार पत्र व टेलीविजन है। आपकी सोच ठीक है लेकिन मेरा मानना है कि अपनी ढेर सारी भावनाएं व विचार हम उस समाचार पत्र में नहीं लिख सकते। इसके लिए इण्टरनेट ब्लाग मुझे बेहतर माध्यम लगा। मेरे ब्लाग पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएंगे तो मुझे प्रसन्नता होगी साथ ही आपके सुझावों से इसमें बदलाव करने में यूपी के इस बन्दे को सहूलियत होगी।
raajnitik ytharth prastut karne ko dhanyawaad
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